प्रख्यात साहित्यकार एवं पूर्व शिक्षा मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार, झांसी निवासी डॉ. रवीन्द्र शुक्ल तथा उनके साथ देश के अनेक विद्वानों ने हिंदी भाषा एवं साहित्य के उत्थान को लेकर 15 जुलाई 2020 को हिंदी साहित्य भारती नामक संस्था का गठन किया। अत्यंत प्रसन्नता का विषय है कि आज अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 35 देशों में हिंदी साहित्य भारती सक्रिय है और भारत के 27 प्रदेशों में हमारे विधिवत रूप से गठित प्रदेश कार्यकारिणियां सांगठनिक और साहित्यिक गतिविधियों में सक्रिय हैं तथा देश के शेष प्रदेशों में संयोजक एवं प्रभारी नियुक्त किए जा चुके हैं जो गठन की प्रक्रिया में सक्रिय है। अनेक प्रदेशों में जनपदों और महानगरों में भी हमारा संगठन खड़ा हो चुका है।इस तरह हिंदी साहित्य भारती वर्तमान समय में विश्व की सबसे बड़ी साहित्यक संस्था बन गई है।
14 सितंबर 2020 से 14 अक्टूबर 2020 हिंदी मास व्याख्यानमाला का आभासी आयोजन किया गया, जिसमें प्रतिदिन अलग-अलग विद्वानों ने विभिन्न विषयों पर रोचक एवं ज्ञानवर्धक व्याख्यान दिए। अक्तूबर मास में ही धर्म बनाम धर्मनिरपेक्षता, साहित्य और संस्कृति का अंतर्संबंध एवं संस्कार और संस्कृति विषयों पर साप्ताहिकी के अंतर्गत अनेक शिक्षाविदों और साहित्यकारों ने तार्किक विवेचना प्रस्तुत की। इन कार्यक्रमों के अतिरिक्त हिंदी साहित्य भारती द्वारा पुस्तक समीक्षा, महापुरुषों की जयंती और युवा साहित्यकारों के लिए साहित्यिक प्रशिक्षण के कार्यक्रम भी आयोजित किए गए।
गौरव का विषय यह है कि हिंदी साहित्य भारती से इस समय अनेक पूर्व राज्यपाल, अनेक विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति, कुलपति, प्राचार्य, विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के ख्यातिलब्ध साहित्यकार, नवोदित प्रतिभाशाली साहित्यकारों के अतिरिक्त अनेक हिंदी प्रेमी और साहित्यानुरागी तन मन धन से तथा पूर्ण निष्ठा एवं समर्पण भाव से जुड़े हैं।
संस्था के प्रमुख उद्देश्य-
- भारत के गौरवशाली साहित्य एवं सांस्कृतिक चेतना को विश्व पटल पर प्रतिष्ठा दिलाना।
- भारत में हिंदी को राष्ट्रभाषा का संवैधानिक अधिकार दिलाना तथा इसके लिए आवश्यक कार्य योजना बनाकर उसका क्रियान्वयन करना।
- वैश्विक स्तर पर हिंदी की महत्ता स्थापित करना और इस हेतु हिंदी भाषा की पुनर्प्रतिष्ठा के लिए कार्यक्रमों का आयोजन करना।
- हिंदी एवं भारत के सभी भाषाओं के साहित्यकारों को वैश्विक एवं राष्ट्रीय पटल पर प्रतिष्ठा दिलाना तथा समाज उपयोगी साहित्य को विभिन्न कक्षाओं के पाठ्यक्रम में शामिल करना।
- हिंदी के समृद्ध किंतु आर्थिक रूप से कमजोर साहित्यकारों की उच्च स्तरीय कृतियों को प्रकाशित कराने की व्यवस्था कराना।
- विश्व के हिंदी साहित्यकारों को एक साथ एक मंच पर लाकर साहित्य के प्रदूषण को समाप्त करना।
- विश्व के श्रेष्ठ साहित्यकारों के माध्यम से मानवता के कल्याण हेतु भारत के आदर्श मानवीय जीवन मूल्यों को जनजन तक पहुंचाना तथा देश के बौधिक वातावरण को सकारात्मक दिशा देना।
- ‘इंद न मम, इंद राष्ट्र्म’ तथा ‘माता भूमि: पुत्रोह्म पृथिव्या’ की भावना को केंद्र में रखकर हिंदी में साहित्य रचना करने वाले साहित्यकारों को प्रेरित करना, जिसके लिए पुरस्कार ओर प्रशिक्षण संवाद आदि का आयोजन करना।
- हर प्रदेश के उत्कृष्ट हिंदी साहित्यकारों को देश तथा विदेश के मंचों पर स्थान दिलाना।
- हिंदी भाषा, हिंदी साहित्य तथा हिंदी साहित्यकारों के उन्नयन के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सेमिनार,गोष्ठियों, कवी सम्मेलन, परिसंवाद, साहित्याकर सम्मलेन आदि आयोजित करना।
- हिंदी के शिक्षकों, शोध निर्देशकों, समालोचकों अनुवादकों आदि को संगठन में सक्रीयता के साथ जोड़कर देश और विदेश के बौद्धिक वातावरण को सकारात्मक दिशा की ओर ले जाना।
इन उद्देश्यों की प्राप्ति ‘राष्ट्रवंदन, अतीत का अभिनंदन’, ‘राष्ट्रवंदन, वर्तमान का अभिनंदन’ ‘पत्र लेखन अभियान’, ‘राष्ट्र वंदन कवि अभियान’, ’विविध विधा प्रशिक्षण कार्यक्रम’ सदस्यता अभियान’, ‘संगोष्ठियों का आयोजन’, ‘कुल गीत’ आदि कार्यक्रमों-आयोजनों द्वारा प्राप्त करने की योजना बनाई गई है। इस अंतरराष्ट्रीय संस्था का मुख्य उद्देश्य हिंदी को राष्ट्रभाषा का आधिकारिक स्थान देकर वैश्विक धरातल पर हिंदी को सामर्थ्यवान बनाना है। आज संपूर्ण विश्व में प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हिंदी साहित्य भारती समाचार जगत से सक्रियता से जुड़ रही है। इसी परिप्रेक्ष्य में केन्द्रीय कार्यकारिणी, विदेश कार्यकारिणी, राज्य कार्यकारिणी और संयोजक कार्यकारिणी घोषित की जा रही है। इस अंतरराष्ट्रीय हिंदी साहित्य भारती के केन्द्रीय कार्यकारिणी के अध्यक्ष डॉ. रवींद्र शुक्ल जी, (पूर्व शिक्षा मंत्री, उत्तर प्रदेश तथा वरिष्ठ साहित्यकार) हैं। इसके मार्गदर्शक मंडल के अंतर्गत जगद्गुरु राजेश्वरानंद, महामण्डलेश्वर डाॅ. शास्वतानंदजी गिरि, महामण्डलेश्वर स्वामी यतींद्रानंदजी गिरि, गंगाधरशास्त्री, पूर्व राज्यपाल केशरीनाथत्रिपाठी, कप्तान सिंह सोलंकी, शेखरदत्त, डाॅ.अरविंदकुमार , डाॅ.रत्नाकर नराले, पद्मश्री विष्णु पंड्या तथा डाॅ.सुरेन्द्र दुबे का समावेश है।
प्रख्यात आलोचक एवं मुंबई विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रोफेसर एवं अध्यक्ष डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय को उपाध्यक्ष के साथ-साथ विदेश कार्यकारिणी का प्रभारी भी बनाया गया है। इसके अलावा डाॅ.कुमुद बंसल को सह-प्रभारी, प्रो नवीनचंद लोहनी को विदेश मामलों का अध्यक्ष बनाया गया है। विदेशी मार्गदर्शक मंडल के अंतर्गत डाॅ.रत्नाकर नराले (कनाडा), डाॅ. विनोदम मिश्र ( मारीशस), डॉ. गेनादी श्लोम्पर (इजराइल), डाॅ.रामेश्वर सिंह ( रूस) तथा प्रो.नीलू गुप्ता (कैलीफोर्निया) को रखा गया है। प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल विदेश मामलों के मंत्री और वैभव वैद्य (कनाडा) को संगठन महामंत्री, भूपेन्द्र कुमार (दुबई), एवं संजय जैन( नाइजीरिया) को संयुक्त मंत्री बनाया गया है। मीडिया संयोजक का दायित्व श्रीमती सौम्या मित्र ( कनाडा), सूर्य बड़थ्वाल (नोएडा) और अरुण उपाध्याय, संपादक प्रवासी संदेश, मुंबई को दिया गया है।साथ ही, डाॅ.श्वेता दीप्ति (काठमांडू), डाॅ.तोमोको किकुचि (जापान), डॉ. मौना कौशिक बल्गारिया, प्रो.उपुलर रंजीत, श्रीलंका, डा.वंदना प्रदीप, दुबई और डाॅ.ममता मिश्र (नीदरलैंड) को मंत्री बनाया गया है। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय संयोजक के रूप में डाॅ. नीलू गुप्ता एवं डाॅ.मीरा सिंह (अमेरिका), मनीषा रामरखा (फिजी), रोहित कुमार (न्यूजीलैंड), विश्वनाथ हीरालाल और प्रो.उषादेवी शुक्ल (दक्षिण अफ्रीका), डॉ. संध्यासिंह (सिंगापुर), रविजी और कादंबरी आदेश (ट्रिनिडाड और टोबैको), राकेश तिवारी (कनाडा), डॉ. सुधांशु शुक्ल( पोलैंड), डॉ. हेमराज सुन्दर (मारीशस) तेजेन्द्र शर्मा (यू.के.), मनीष शर्मा(कंबोडिया), पंकजकुमार सिंह (संयुक्त अरब अमीरात), राकेश शंकर भारती (यूक्रेन), डॉ. संजय अग्निहोत्री (ऑस्ट्रेलिया), सैदा मिर्जाइवा (अजर बैजान), डॉ. नवीनचंद्र लोहनी (चीन), डॉ. शिवकुमार सिंह (पुर्तगाल), प्रो.मिलेना व्रतोएवा (बुल्गारिया), डॉ. डी.एन.पाठक (तंजानिया), हेरम्ब कुलकर्णी (फिनलैंड), डॉ.ममता मिश्र (नीदरलैंड), प्रो.रामप्रसाद भट्ट ( जर्मनी), शाममलाल शर्मा (स्विटजरलैंड) तथा पूर्णिमा सिंह (ओमान) को रखा गया है।
डाॅ.सदानंद भोसले महाराष्ट्र के उपाध्यक्ष और महामंत्री की जिम्मेदारी मुंबई विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के सह प्राध्यापक डाॅ.सचिन गपाट को दी गई है। मुंबई विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रोफेसर एवं अध्यक्ष डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय को विदेश के साथ-साथ महाराष्ट्र का भी प्रभारी बनाया गया है।