सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) के नए शोध के अनुसार, HSBC बैंक के स्वामित्व हिस्सेदारी वाली कंपनियों द्वारा निर्मित और नियोजित नए कोयला संयंत्रों से प्रति वर्ष वायु प्रदूषण अनुमानित 18,700 मौतों का कारण बनेगा। दूसरे शब्दों में, हर रोज़ लगभग 51 लोगों की मौतों का कारण बनेंगे ये संयंत्र।
इन कोयला संयंत्रों के पूरे होने पर इनसे वायु प्रदूषण के कारण अस्थमा से 29,000 अस्पताल के आपातकालीन दौरे, 25,000 असामयिक प्रसव जन्म और प्रति वर्ष 14 मिलियन दिनों की रोज़गार कार्य अनुपस्थिति होगी। स्वास्थ प्रभाव की प्रति वर्ष लागत 6.2 बिलियन अमरीकी डालर की गणना से मेल कहती है, और अनुमानित मौतें भारत में सबसे ज़्यादा (प्रति वर्ष 8,300 मौतें), इसके बाद चीन (4,200), बांग्लादेश (1,200), इंडोनेशिया (1,100), वियतनाम (580) और पाकिस्तान (450) हैं।
अध्ययन पर्यावरण संगठन मार्केट फोर्सेज द्वारा अप्रैल 2021 की जांच पर आधारित है, जिसमें दिखाया गया कि HSBC अपनी परिसंपत्ति प्रबंधन शाखा के माध्यम से कोयला कंपनियों में स्वामित्व हिस्सेदारी रखता है। ये कंपनियां मिलकर कोयले से 99 गीगावाट (GW) ऊर्जा पैदा करने वाले हुए कम से कम 73 नए कोयला संयंत्र (137 अलग-अलग कोयला संयंत्र इकाइयां) की योजना बनाती हैं। CREA ने फिर इस डाटा का उपयोग सभी 73 संयंत्रों के पूरे हो जाने पर प्रति वर्ष वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों का विश्लेषण करने के लिए किया।
HSBC ने स्वीकार किया है कि 2040 तक कोयला वित्तपोषण को समाप्त करने की उसकी योजना में इसकी परिसंपत्ति प्रबंधन शाखा शामिल नहीं हैं। CREA द्वारा किए गए अध्ययन में वायु प्रदूषण के प्रभावों की गणना के लिए एक स्थापित कार्यप्रणाली का उपयोग किया गया है, इस धारणा के साथ कि सभी संयंत्र अपने संबंधित राष्ट्रीय प्रदूषण मानकों का पालन करते हैं।
इस शोध पर लॉरी म्यलयविरटा, CREA में लीड विश्लेषक, ने कहा, “उन देशों में जो पहले से ही दुनिया में सबसे अधिक प्रदूषित हैं, HSBC के निवेश बिजली उत्पादन के सबसे अशुद्ध रूप पर निर्भरता बढ़ा रहे हैं। मृत्यु और बीमारी के दसियों हजारों मामले जो HSBC से जुड़े कोयला बिजली संयंत्रों से उत्पन्न होंगे, सार्वजनिक स्वास्थ्य और वैश्विक जलवायु की रक्षा के लिए स्वच्छ ऊर्जा में निवेश को स्थानांतरित करने की तात्कालिकता को रेखांकित करते हैं।”
आगे, एैडम मैकगिब्बन, मार्केट फोर्सेज में यूके कैंपेन लीड, ने कहा, “नए कोयला बिजली संयंत्रों के विकास से जुड़ी कंपनियों के एक निवेशक के रूप में, HSBC का जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते की विफलता में वित्तीय हित है। अब हम पता चलता हैं कि HSBC के निवेश पोर्टफोलियो के परिणामस्वरुप सैकड़ों हजारों लोगों की अकाल मृत्यु होगी, मुख्य रूप से विकासशील देशों में जिन्हें स्वच्छ, रिन्यूएबल ऊर्जा के लिए प्राथमिकता प्राप्त होनी चाहिए।”
यदि HSBC इस वर्ष ग्लासगो में COP26 जलवायु वार्ता में अपना चेहरा दिखाने की उम्मीद रखता है, तो सही रास्ता अपनाना होगा और जीवाश्म ईंधन द्वारा लाए गए जलवायु और मानव स्वास्थ्य संकटों को बढ़ावा देने वाली किसी भी कंपनी को नकारना होगा।