अफगानिस्तान के कंधार में तालिबानियों और सिक्योरिटी फोर्सेस की मुठभेड़ के दौरान भारतीय फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी की मौत हो गई। वे न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के लिए काम करते थे। 2018 में उन्हें पुलित्जर अवॉर्ड दिया गया था। टोलो न्यूज के मुताबिक, स्पिन बोल्डक जिले में दानिश पिछले कई दिनों से मौजूदा हालात को कवर कर रहे थे। अफगानिस्तान की स्पेशल फोर्सेस जब एक रेस्क्यू मिशन पर थी, तब दानिश उनके साथ मौजूद थे। दानिश के 3 दिन पहले किए ट्वीट में भी इसका जिक्र है।
आखिरी बार 2 दिन पहले बात पिता से की थी बात
दानिश सिद्दीकी के पिता प्रोफेसर अख्तर सिद्दकी ने भास्कर को बताया कि बेटे से आखिरी बार दो दिन पहले बात हुई थी। हमसे बात करते हुए उनका गला भर आया। फोन रखने से पहले उन्होंने बताया कि दानिश अपने काम को लेकर बेहद संजीदा थे। प्रोफेशन के आगे वह किसी की भी बात नहीं सुनते थे। दानिश को चैलेंज लेना पसंद था। पिता ने कहा कि दानिश के पैशन को देख हमने उसे अफगानिस्तान जाने से नहीं रोका।
दानिश ने ट्वीट किया था- स्पेशल फोर्सेस का मिशन कवर कर रहा हूं
दानिश ने अपने ट्विटर हैंडल पर 13 जुलाई को एक पोस्ट की थी। इसमें उन्होंने बताया था कि वे पूरे अफगानिस्तान में कई मोर्चों पर लड़ाई लड़ रही अफगान स्पेशल फोर्सेस के साथ हैं। उन्होंने लिखा था- मैं एक मिशन पर इन युवाओं के साथ हूं। आज कंधार में ये फोर्सेस रेस्क्यू मिशन पर थीं। इससे पहले ये लोग पूरी रात एक कॉम्बैट मिशन पर थे। इसी हफ्ते जब तालिबान ने कंधार के स्पिन बोल्डक पर कब्जा किया तो स्पेशल फोर्सेस के साथ लगातार उसकी मुठभेड़ शुरू हो गई। पिछले कई दिनों से दोनों के बीच भीषण संघर्ष जारी है। दानिश इसी मिशन को कवर कर रहे थे।
अभी साफ नहीं कि किन हालात में हुई दानिश की मौत
अफगानिस्तान के एम्बेस्डर फरीद मामुन्दजई ने शुक्रवार को इस बात की जानकारी अपने ट्विटर हैंडल पर दी है। हत्या किसने की और इसकी वजह क्या थी, इस बारे में अभी कोई जानकारी नहीं सामने आई है।
फरीद मामुन्दजई ने ट्वीट में लिखा- कंधार में गुरुवार रात दोस्त दानिश की हत्या कर दी गई। इस घटना से बहुत दुखी हूं। भारतीय जर्नलिस्ट और पुलित्जर पुरस्कार विजेता दानिश सिक्युरिटी फोर्सेस के साथ थे। मैं उनसे 2 हफ्ते पहले मिला था, तब वो काबुल जाने वाले थे। उनकी फैमिली के साथ मेरी संवेदनाएं हैं।
तालिबानियों से घिरे पुलिस वाले को रेस्क्यू कर रही थी अफगान फोर्सेस
रिपोर्ट्स के मुताबिक, दानिश ने हाल ही में अफगानिस्तान की स्पेशल फोर्सेस के मिशन की रिपोर्टिंग की थी। इस मिशन के दौरान अफगानिस्तानी फोर्सेस एक ऐसे पुलिसवाले को रेस्क्यू कर रहे थे, जो अपने साथियों से अलग हो गया था और तालिबानियों के साथ लगातार लड़ता रहा। दानिश की इस रिपोर्ट में दिखाया गया था कि तालिबानियों ने किस तरह रॉकेट से अफगानी फोर्सेस के काफिले पर हमला किया था।
रोहिंग्या कवरेज के लिए मिला था पुलित्जर
दानिश मुंबई के रहने वाले थे। उन्हें रॉयटर्स के फोटोग्राफी स्टाफ के साथ पुलित्जर अवॉर्ड दिया गया था। उन्होंने दिल्ली की जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में ग्रैजुएट किया था। 2007 में उन्होंने जामिया के मास कम्युनिकेशन रिसर्च सेंटर से मास कम्युनिकेशन की डिग्री ली थी।
उन्होंने टेलीविजन से अपना करियर शुरू किया और 2010 में रॉयटर्स से जुड़े। इसी हफ्ते जब तालिबान ने कंधार के स्पिन बोल्डक पर कब्जा किया तो स्पेशल फोर्सेस के साथ लगातार उसकी मुठभेड़ शुरू हो गईं। पिछले कई दिनों से दोनों के बीच भीषण संघर्ष जारी है। दानिश इसी मिशन को कवर कर रहे थे।