खुर्शीद खान
श्रेयः लेने की राजनीति का फेसबुक पर सड़क कि दुरुस्ती को लेकर युद्ध का एक अखाड़ा बन गया।पिछले दिनों काशिमिरा से मांडवी पाड़ा, डाचकुल पाड़ा,मीनाक्षी नगर, और ग्रीन विलेज से दरगाह की ओर जाने वाली खराब और टूटी फूटी सड़कों की परिस्तिथि के बारे में समाचार पत्रों और शोशल मीडिया पर खूब चर्चा रही।
लेकिन जैसे ही ग्रीन विलेज से दरगाह की ओर जाने वाले रास्ते का काम शुरू हुआ और सड़क पर रास्ता दुरुस्ती के लिए सामग्री डाली गई।एवम रास्ता रिपेरिंग के सामग्री कि तस्वीरें शोशल मीडिया व फेसबुक पर पहुंची शोशल मीडिया पर इस कि चर्चा शुरू हो गई।
श्रेयः लेने की राजनीति का फेसबुक पर सड़क कि दुरुस्ती को लेकर युद्ध का एक अखाड़ा बन गया।
शब्दों के तीर चलने लगे, बीजेपी के लोगों ने आपत्ति जताते हुए कहा कि सड़क की दुरुस्ती के लिए प्राथमिक्ता और आगामी हम ने शुरू की थी और श्रेयः लेने कांग्रेस के लोग क्यों पहुंच गए ?
दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं ने उत्तर दिया कि” हमारे द्वारा दिए गए पत्रावली के बाद ही सड़क का काम चालू किया गया है ।
इस विषय पर अन्य लोगों ने भी फेसबुक पर अपने अपने विचार शेयर किए।
मुदा तब और भी अधिक गंभीर हो गया जब फेसबुक पर चल रही चर्चा में यह पोस्ट डाल कर कहा गया कि कोंग्रेस पार्टी के श्री केशलाल यादव द्वारा रास्ता दुरुस्ती के लिए आवेदन देने के बाद ही सड़क दुरुस्ती का काम चालू किया गया है।
वह आवेदन जो कोंग्रेस पार्टी के द्वारा काशीमीरा से केशलाल यादव कि ओर से दिया गया था, फ़ेसबुक पर अपलोड कर दिया गया।
इस पर बीजेपी के लोग फ़ेसबुक पर नाराज़ हो गए और गुहार लगाने लगे की सड़क का यह काम हमारे परिश्रमों से चालू किया गया है ।
अब यह कौन बताए कि सत्ता में रह रही पार्टी को ही अगर अपने ही कार्यकाल में पूरे शहर में एक छोटी सि सड़क रिपेरिंग का मामूली सा काम भी अपने हि सत्ता काल में परिश्रम लगने लगे तो गैर सत्ताधीश अपने परिश्रम और प्रयासों को क्या कहेंगे, उनका नगरपालिका में आना जाना, चक्कर लगाना क्या एक तरह का सैरसपाटा है?
यह भी समझना चाहिए कि नगर में विकास कि ज़िम्मेसरी सत्ता पक्ष कि होती है, होना यह चाहिए कि काशिमिरा को विकास का एक मॉडल बनाते हुए काशिमिरा की तमाम सड़कों का दुरूस्ती करण ही नहीं बल्कि मीरा भायंदर की सर्वोत्तम सड़कों का सुधार करवाते, ताकि सड़कें लावारिस और खस्ता हाल न पड़ी रह जाए और चुनाव के नज़दीक आने पर जनता के बीच शर्मिंदगी न उठानी पड़े ।
लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में हमारा आंकलन यही है कि सत्ता पक्ष को अपने विरोधी पक्ष का भी स्वागत करना चाहिए क्यों कि मज़बूत विपक्ष हि लोकतंत्र कि खूबसूरती होती है।किसी की भी तिलमिलाहट ऐसे बढती हुई दिखाई नहीं देनी चाहिए जैसे किसी ने दुखती हुई नस पर हाथ रख दिया हो
केवल विकास के कार्यों को केंद्र में रखना चाहिए?