उत्सव: 30 अगस्त को जन्माष्टमी, द्वापर युग में श्रीकृष्ण जन्म के समय बने थे दुर्लभ योग, वैसे ही 3 योग इस साल भी

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Krishna

सोमवार, 30 अगस्त को जन्माष्टमी है। इस साल जन्माष्टमी पर कुछ ऐसे योग बन रहे हैं जो द्वापर युग में श्रीकृष्ण के जन्म के समय बने थे। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार द्वापर युग में जब श्रीकृष्ण का जन्म हुआ, उस समय भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी, रोहिणी नक्षत्र, वृषभ राशि का चंद्र और वार बुधवार था।

इस साल उस समय जैसे तीन योग बन रहे हैं। भादौ मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी, रोहिणी नक्षत्र और वृषभ राशि का चंद्र रहेगा। इस बार वार सोमवार रहेगा। इस एक और खात बात यह है कि स्मार्त और वैष्णव संप्रदाय को मानने वाले लोग एक ही दिन जन्माष्टमी मनाएंगे।

पं. शर्मा के अनुसार जन्माष्टमी की रात रोहिणी नक्षत्र और चंद्र वृषभ राशि में उच्च रहेगा। इस पर्व पर बाल गोपाल की विशेष पूजा करनी चाहिए। केसर मिश्रित दूध को दक्षिणावर्ती शंख में भरकर अभिषेक करना चाहिए। माखन-मिश्री का भोग तुलसी के साथ लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। साथ ही, ध्यान रखें बाल गोपाल के साथ गौमाता की छोटी सी मूर्ति जरूर रखनी चाहिए। किसी गौशाला में धन और अनाज का दान भी जरूर करें।

जो लोग संतान सुख पाना चाहते हैं, उन्हें जन्माष्टमी पर गोपाल स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। हरिवंश पुराण का पाठ भी कर सकते हैं। जन्माष्टमी के बाद अगले दिन नंदोत्सव मनाने की परंपरा है। इस दिन बाल गोपाल का अभिषेक करना चाहिए।

श्रीकृष्ण पूजा में कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जाप करना चाहिए। मंत्र जाप तुलसी की माला की मदद से करना चाहिए। इस दिन किसी प्राचीन कृष्ण मंदिर में दर्शन करने का भी विशेष महत्व है। कृष्ण भक्त खासतौर पर मथुरा, वृंदावन, गोकुल, गिरिराज की यात्रा करते हैं। यमुना जी में स्नान करते हैं। स्नान के बाद जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करते हैं। इस दिन जरूरतमंद बच्चों को शिक्षा से संबंधित चीजें भी दान करनी चाहिए।

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