मद्रास हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग को बताया हत्यारा तो SC ने कहा, “टिप्पणी को कड़वी दवा समझे”

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उच्चतम न्यायालय ने कोविड-19 के मामले बढ़ने के लिए निर्वाचन आयोग के अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराने और उनपर हत्या के आरोपों में मुकदमा चलाने जैसी मद्रास उच्च न्यायालय की टिप्पणियों के खिलाफ निर्वाचन आयोग की याचिका पर अपना फैसला सोमवार को सुरक्षित रख लिया।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और एम आर शाह ने आयोग के वकील राकेश द्विवेदी की दलीलों को सुना. द्विवेदी ने कहा कि हाई कोर्ट ने आयोग को कुछ कहने का मौका ही नहीं दिया. यह भी नहीं समझा कि कोविड प्रोटोकॉल का पालन किसी राज्य की आपदा प्रबंधन ऑथोरिटी करवाती है. इस पर जजों ने कहा, “ऐसा नहीं कह सकते कि आयोग की कोई ज़िम्मेदारी ही नहीं बनती.”

इस दलील से असंतुष्ट जजों ने कहा, “गोली चलवाने के लिए तो कोई नहीं कह रहा. आपने ही बाद में सर्क्युलर जारी किया कि 500 लोगों से ज़्यादा की रैली नहीं हो सकती. ऐसा पहले भी तो हो सकता था.” वकील ने कहा, “वह सर्क्युलर पश्चिम बंगाल के लिए जारी हुआ. तब तक कोरोना की स्थिति बहुत गंभीर हो चुकी थी. तमिलनाडु में चुनाव 4 अप्रैल को पूरे हो चुके थे.”

शीर्ष अदालत ने कहा कि ऐसी टिप्पणियों पर मीडिया को खबर नहीं देनी चाहिए, इस तरह का अनुरोध करना ‘बहुत अस्वाभाविक’ है और इसे हर उस चीज पर रिपोर्ट करनी चाहिए जो जिम्मेदारी तय करने से जुड़ी हो।

पीठ ने कहा कि लोकतंत्र में मीडिया महत्त्वपूर्ण एवं शक्तिशाली प्रहरी है और उसे उच्च न्यायालयों में हुई चर्चाओं की रिपोर्टिंग से रोका नहीं जा सकता है।

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