बांग्लादेश दौरे के दूसरा दिन पीएम मोदी ने किये जशोरेश्वरी काली मंदिर के दर्शन, 51 शक्तिपीठ में से हैं एक

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बांग्लादेश में अनुसूचित जाति समूह मातुआ समुदाय इस सप्ताह के अंत में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत करने के लिए तैयार है। बता दें कि पश्चिम बंगाल की कम से कम छह संसदीय सीटों में इनकी उपस्थिति है।

मातुआ समुदाय की जड़े बांग्लादेश से जुड़ी हुई हैं। विभाजन के दौरान ये बड़ी संख्या में पश्चिम बंगाल में चले आए, खासकर 2001-02 में खालिदा जिया की सरकार के समय में हिंदू-विरोधी अभियानों के दौरान भी इनका स्थानांतरण हुआ।

पीएम मोदी ने यहां मां काली को मुकुट पहनाया, उनके चरणों में साड़ी भेंट की. इसके बाद मंत्रोच्चार के साथ पूजा-अर्चना की. इस मंदिर का भी बंगाल से गहरा नाता रहा है. चुनाव वाले दिन मोदी का बंगाल से सटे बांग्लादेश में रहना एक पॉलिटिकल मैसेज दे सकता है.

बांग्लादेश अपनी आजादी की 50वीं सालगिरह और बांग्लादेश के राष्ट्रपति शेख मुजीबुर्रहमान का जन्म शताब्दी समारोह मना रहा है. इस खास मौके पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि हैं.

पीएम नरेंद्र मोदी आज ढाका से डेढ़ सौ किलोमीटर दूर ओरकांडी जाएंगे जहां मतुआ समाज का सबसे बड़ा धाम है. मतुआ महासंघ के संस्थापक हरिचंद ठाकुर का मंदिर है. बांग्लादेश में मोदी की मतुआ मंदिर की यात्रा की पूरे देश में चर्चा हो रही है.

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