ISRO और NASA ने मिलकर बनाया ‘NISAR’, अब अंतरिक्ष से दुश्मनों की हरकत पर रखी जाएगी नजर

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने पिछले हफ्ते अपने एल-बैंड रडार के साथ एकीकरण के लिए अपने एस-बैंड सिंथेटिक एपर्चर रडार को नासा की जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला में भेजा। एक साथ युग्मित, नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (एनआईएसएआर) दो आवृत्तियों में पृथ्वी अवलोकन को सक्षम करने वाला पहला उपग्रह बन जाएगा।

इसरो ने S-band सिंथेटिक एपरेचर रडार को निर्मित करके एक नई सफलता हासिल की है. वहीं इसरो द्वारा यह रडार अमेरिकी अंतरिक्ष एंजेसी नासा को भेज दिया गया है. जिसके बाद नासा की ओर से एल-बैंड पेलोड को इसमें इंटीग्रेट करने के लिए विकसित किया जा रहा है. दोनों रडार जब इंटीग्रेट हो जाएंगे तो ये पुन: भारत भेज दिए जाएंगे.

वहीं इस उपलब्धि पर नासा का कहना है कि, ‘ नासा-इसरो एसएआर (निसार) रडार की दो अलग-अलग आवृत्तियों एल और एस बैंड की इस्तेमाल करने वाला पहला उपग्रह अभियान होगा.

इससे ग्रह की सतह पर एक सेंटीमीटर से भी कम दूरी में होने वाले बदलाव को मापा जा सकेगा. इसके साथ ही यह वैज्ञानिकों को सतह और साथ ही उस ग्रह के अंदरूनी हिस्से को समझने में मदद करेगा, जिस पर हम रहते हैं.

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